अतिरिक्त >> पानीपुर का पानी पानीपुर का पानीसुखदेव सिंह सेंगर
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ग्रामीण जीवन के लिए प्रमुख हैं—खेती, पशु पालन और पानी। किसानी अपना पुस्तैनी काम है। फसल अच्छी हो गई तो मालामाल...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
खेती, पशु पालन और पानी
ग्रामीण जीवन के लिए प्रमुख हैं—खेती, पशु पालन और पानी। किसानी
अपना पुस्तैनी काम है। फसल अच्छी हो गई तो मालामाल। हल्की हुई तो
गुजर-बसर के लाले नहीं परन्तु पशुपालन का दायरा सीमित है। जो लोग बीच या
बड़े स्तर पर पशुपालन कर रहे हैं,
वे सुखी हैं। इस धंधे को वह हीन और छोटा नहीं समझते हैं। इसलिए गरीबी उनके आड़े नहीं आती। और फिर कोई ज्यादा पूँजी भी तो नहीं लगानी होती इसमें। पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती रहती है। कोई जोखिम नहीं। उनकी छोटी-मोटी बीमारियों को वे जानते हैं और देशी दवा देकर ही ठीक कर लेते हैं।
ग्रामीण जीवन का मुख्य आधार खे्ती, पशुपालन आदि है। जिनमें धंधा है और पैसा भी। गरीब परिवार धनी हो जाता है। उसके कच्चे मकान की जगह हवेली खड़ी हो जाती है। और ‘हवेली’ धनी तथा इज्जतदार आदमी का चिह्न है।
हमारे जीने के लिए तीन चीजें बहुत जरूरी हैं—हवा, पानी और भोजन। पहली दोनों चीजें प्रकृति ने हमें उतनी ही सहज दी हैं। हमारा धर्म है कि हम उन्हें प्रदूषित और बेकार न होने दें।
पानी का प्रमुख स्रोत है—बरसात। बरसात अब उतनी होती नहीं। जो होती भी है, उसका बहुत बड़ा भाग बेकार में बह जाता है। इससे हमारे कुएँ सूख रहे हैं। हैंण्ड पम्पों में पानी नहीं आता। यदि हमने जगह-जगह पानी रोक कर जल संरक्षण नहीं किया, तो हम एक दिन पानी की बूँद-बूँद को तरसेंगे।
पानी, कितना छोटा-सा शब्द है लेकिन अगर इसके विस्तार के बारे में विचार किया जाए तो शायद समस्त विश्व में सबसे ज्यादा है। रासायनिक दृष्टि से जल अर्थात् एच-टू-ओ. का निर्माण एक ऑक्सीजन के और दो हाईड्रोजन के अणुओं से होता है लेकिन क्या यह इतना सरल है तो इसके जवाब में अभी तक वैज्ञानिकों ने लगभग चालीस प्रकार के पानी की पुष्टि की है।
वे सुखी हैं। इस धंधे को वह हीन और छोटा नहीं समझते हैं। इसलिए गरीबी उनके आड़े नहीं आती। और फिर कोई ज्यादा पूँजी भी तो नहीं लगानी होती इसमें। पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती रहती है। कोई जोखिम नहीं। उनकी छोटी-मोटी बीमारियों को वे जानते हैं और देशी दवा देकर ही ठीक कर लेते हैं।
ग्रामीण जीवन का मुख्य आधार खे्ती, पशुपालन आदि है। जिनमें धंधा है और पैसा भी। गरीब परिवार धनी हो जाता है। उसके कच्चे मकान की जगह हवेली खड़ी हो जाती है। और ‘हवेली’ धनी तथा इज्जतदार आदमी का चिह्न है।
हमारे जीने के लिए तीन चीजें बहुत जरूरी हैं—हवा, पानी और भोजन। पहली दोनों चीजें प्रकृति ने हमें उतनी ही सहज दी हैं। हमारा धर्म है कि हम उन्हें प्रदूषित और बेकार न होने दें।
पानी का प्रमुख स्रोत है—बरसात। बरसात अब उतनी होती नहीं। जो होती भी है, उसका बहुत बड़ा भाग बेकार में बह जाता है। इससे हमारे कुएँ सूख रहे हैं। हैंण्ड पम्पों में पानी नहीं आता। यदि हमने जगह-जगह पानी रोक कर जल संरक्षण नहीं किया, तो हम एक दिन पानी की बूँद-बूँद को तरसेंगे।
पानी, कितना छोटा-सा शब्द है लेकिन अगर इसके विस्तार के बारे में विचार किया जाए तो शायद समस्त विश्व में सबसे ज्यादा है। रासायनिक दृष्टि से जल अर्थात् एच-टू-ओ. का निर्माण एक ऑक्सीजन के और दो हाईड्रोजन के अणुओं से होता है लेकिन क्या यह इतना सरल है तो इसके जवाब में अभी तक वैज्ञानिकों ने लगभग चालीस प्रकार के पानी की पुष्टि की है।
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